Shodashi Things To Know Before You Buy
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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं
इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?
Goddess is commonly depicted as sitting within the petals of lotus that is certainly held within the horizontal body of Lord Shiva.
संहर्त्री सर्वभासां विलयनसमये स्वात्मनि स्वप्रकाशा
The supremely stunning Shodashi is united in the heart in the infinite consciousness of Shiva. She eliminates darkness and bestows mild.
The Mahavidya Shodashi Mantra is additionally a robust Software for anyone seeking harmony in own associations, Resourceful inspiration, and advice in spiritual pursuits. Standard chanting fosters psychological therapeutic, enhances intuition, and can help devotees obtain better wisdom.
The Shodashi Mantra instills endurance and resilience, aiding devotees stay steady by way of difficulties. This advantage enables persons to technique obstacles with calmness and dedication, fostering an inner toughness that supports own and spiritual expansion.
सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।
या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः
ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः
हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।
Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra sharpens the thoughts, enhances focus, and increases psychological clarity. This reward is effective for college kids, gurus, and those pursuing intellectual or creative plans, mainly because it fosters a disciplined and concentrated approach to duties.
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यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।